उत्तर प्रदेश

आगरा-लखनऊ यमुना एक्सप्रेस वे:100 की स्पीड तो खतरे में है जिंदगी

आगरा-लखनऊ यमुना एक्सप्रेसवे सुविधा से ज्यादा हादसों के लिए अपनी पहचान बनता जा रहा है। 25 नवंबर की रात भी ऐसा ही कुछ हुआ और एक बस ने कार को इतनी जोरदार टक्कर मारी कि कार सवार चार लोगों ने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया। लोगों के समय और सुविधा को ध्यान में रखते हुए इस हाइवे के निर्माण को एक बड़ी उपलब्धि के रूप में माना जाता है। लेकिन दुर्घटनाओं की संख्या ने इस उपलब्धि को एक समस्या के रूप में खड़ा कर दिया है।


165 किमी लंबा यह यमुना एक्सप्रेस वे छह लेन वाला है, जो ग्रेटर नोएडा को आगरा से जोड़ता है। उत्तर प्रदेश सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरूआत पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल हुई थी। इसका निर्माण कार्य 2007 में शुरू हुआ था और 2012 में इसे आम लोगों के लिए खोल दिया गया। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसका उद्घाटन किया था।


जिस एक्सप्रेस वे को विकास के एक मॉडल के रूप में देखा जाता रहा है, उस यमुना एक्सप्रेस वे पर एक आंकड़े के मुताबिक साल 2017 में 1,600 लोगों ने अपनी जान गंवाई हैं। यह आंकड़ा उस समय और गंभीर लगता है जब इसकी तुलना 2016 से की जाती है, क्योंकि मरने वालों की संख्या में दोगुना इजाफा हुआ है। एक्सप्रेस वे पर जेवर टोल प्लाजा के अंतर्गत आने वाले दनकौर, मांट, सुरीर, दयानतपुर और फलैदा नौहझी ऐसे क्षेत्र हैं जहां सर्वाधिक दुर्घटनाएं दर्ज की गई हैं।


वाहनों की गति पर नजर रखने के लिए जगह-जगह कैमरे भी लगे हैं और ओवरस्पीड में चलने वालों पर जुर्माने का प्रावधान भी है लेकिन लोगों द्वारा इसकी अनदेखी हादसों की संख्या को बढ़ा रही है। पुलिस को भी उन वाहनों पर सख्ती करनी चाहिए जो इस नियम को तोड़ रहे हैं वरना हादसों की संख्या में कमी लाना एक चुनौती बनकर रह जाएगा।


 

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