कुरुक्षेत्र

कृषि विभाग के कर्मचारी मामचंद को मिला राज्यस्तरीय पुरस्कार ।

कुरुक्षेत्र ।    समाज में फैले भ्रष्टाचार और युवाओं को नशे की लत में डूबा देखकर कृषि विभाग के कर्मचारी मामचंद ने ज्वलंत मुद्दों पर दो किताबें लिख डालीं। इन दोनों किताबों में 100 से ज्यादा कविताएं लिखी गई हैं। अहम पहलू यह है कि कर्मचारी मामचंद ने अपनी पाकेट से ‘मेरी कलम से’ और ‘अनोखी सोच’ किताब को प्रकाशित करवाने के लिए 14 हजार रुपये की राशि खर्च की है।
इतना ही नहीं मामचंद ने हजारों किताबें निशुल्क लोगों में भी वितरित की हैं। इस उपलब्धि पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की तरफ से कर्मचारी मामचंद को राज्यस्तरीय अवार्ड के लिए चयनित किया और 29 नवम्बर को कुरुक्षेत्र राजकीय स्कूल में राज्यमंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने कर्मचारी मामचंद को 50 हजार रुपए व प्रमाण पत्र देकर राज्यस्तरीय अवार्ड से नवाजा।
कृषि विभाग में कार्यरत और 12वीं पास मामचंद ने आज यहां विशेष बातचीत करते हुए बताया कि विभागीय कामकाज के दौरान समाज के हर क्षेत्र में और हर किस्म के व्यक्ति से मिलने का मौका मिला। अधिकारियों के साथ आम लोगों से अपने विचार सांझा करने का एक सुनहरी अवसर मिला। इस दौरान उन्होंने समाज में फैले भ्रष्टाचार और युवाओं को नशे की लत में डूबा देखकर गाड़ी चलाने वाले हाथों ने कलम भी थाम ली। उन्होंने 2010 से कविताएं लिखने का कार्य शुरू किया। उन्होंने सबसे पहले ‘अनोखी सोच’ किताब लिखी।
इस पुस्तक में उन्होंने कुल 48 कविताओं की रचना की। इस किताब के लिखने के बाद आम लोगों से उत्साहवर्धन व प्रेरणा मिली और उन्होंने अगस्त 2014 में अपनी दूसरी पुस्तक ‘मेरी कलम से’ भी लिखी। इस पुस्तक में 46 कविताओं को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि दोनों पुस्तकों में कई प्रकार के समसामयिक ज्वलंत मुद्दों को अपनी लेखनी का माध्यम बनाया है।
वर्तमान में देश में कई प्रकार की सामाजिक कुरीतियों, भ्रष्टाचार, जातिवाद, व्यक्तिवाद व क्षेत्रवाद फैल चुका है। समाज व देश को लोग भूलकर केवल अपने विकास के प्रति ही सोच रहे हैं, जिससे हमारा समाज पतन की तरफ जा रहा है। यह सब चीजें विश्व गुरू कहलाने वाले देश के लिए किसी भी त्रासदी से कम नहीं है।  इस पीड़ा से ही उन्होंने गाड़ी चलाने के साथ-साथ अपनी कलम भी चलाना शुरू किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *