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भाकियू ने मुख्यमंत्री से की प्रदेश के बजट में किसानों को राहत देने की मांग

भाकियू सदस्यों ने किसानों की मांगों को लेकर किसान भवन में किया प्रदर्शन

पराली का समाधान करने को लेकर पराली आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन दे सरकार

जिलाध्यक्ष कुलदीप बलाना की अध्यक्षता में किसान भवन में हुई। वहीं बैठक
में भाकियू ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल से मांग की गई कि वे प्रदेश के आम
बजट में किसानों को राहत देने का काम करे। कुलदीप बलाना ने कहा कि भाजपा
सरकार किसानों की आय को 2022 तक दोगुनी करने की बात कर रही है पर इसके
लिए सरकार को ऐसे कार्य करने होगे कि किसानों की फसल का लागत मुल्य घटे
और उनका न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए। इसके लिए सरकार को किसानों के
बीज, खाद, दवाई, कृषि यंत्रों आदि पर जीएसटी से छुट दी जाए। वहीं किसानों
को के्रडिट कार्ड पर अब जो 3 लाख रूपये तक के ब्याज पर 3 प्रतिशत की
सब्सिडी मिलती है, उस लिमिट को बढ़ा करके 5 लाख किया जाए।  कुलदीप ने कहा
कि प्रदेश के शुगर मिलों को इस साल चालू हुए करीब तीन माह हो चुके है पर
आज तक भी सरकार ने गन्ने का भाव घोषित नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि
हाल ही में कृषि विभाग द्वारा कहा गया है कि गेहूं व पराली के अवशेष
जलाने वाले किसानों को ब्लैक लिस्ट किया जाएगा और सरकार द्वारा उनको दी
जानी वाली सारी सुविधाओं को बंद कर दिया जाएगा। इस पर कुलदीप बलाना ने
सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार ने ऐसा करने करने की कौशिश
की तो भाकियू प्रदेश के किसानों के साथ सडक़ों पर उतरने पर मजबूर होगी।
वहीं इसके विरोध में भाकियू ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की। भाकियू ने
नारा दिया है कि कलम गिसाई बंद करे और पराली का प्रबंध करे। कुलदीप ने
कहा कि सरकार द्वारा अपनी कमियां छुपाने के लिए प्रदूषण का सारा ठीकरा
किसानों के सिर पर फोड़ दिया जाता है। इसके लिए सरकार को किसानों को
जागरूक करना चाहिए। कुलदीप ने कहा कि सरकार पराली पर आधारित उद्योगों को
प्रोत्साहन दे ताकि किसानों की पराली का अपने आप ही समाधान हो सके।
उन्होंने कहा कि भावांतर स्कीम को लेकर भी सरकार द्वारा किसानों को जागृत
करना चाहिए। इस अवसर पर सुरत सिंह महावटी, टिंकू कुराड़, देवेंद्र
जागलान, रोहताश आटा, कुलदीप बडौली, बलबीर कवि, जोगिंद्र जागलान, प्रकाश
जाटल आदि मौजूद रहे

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