चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय ने बीसीए व एमसीए का पाठ्यक्रम में बदलाव
जींद- विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया चली हुई है। कोरोना काल में कंप्यूटर साइंस की महत्ता को अत्यधिक बढ़ावा मिला है एवं इस काल में भी लॉकडाउन के दौरान कंप्यूटर से जुड़े उद्योगों एवं कर्मियों की कार्य क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ा है। भविष्य में किसी भी आपदा का सामना करने के लिए कंप्यूटर साइंस का ज्ञान होना अनिवार्य है। चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस एवं एप्लीकेशन विभाग ने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए पिछले वर्ष ही बीसीए के पाठ्यक्रम में आमूल चूल परिवर्तन किया था जिसमें नवीनतम तकनीक जैसे डाटा साइंस, एंगुलर, नोड आदि नवीनतम तकनीकों का समावेश किया गया था। इन तकनीकों के ज्ञान से विद्यार्थियों को अच्छी नौकरी मिलने की संभावना रहती है। साथ ही साथ विद्यार्थी केवल एक कंप्यूटर एवं इंटरनेट कनेक्शन के माध्यम से स्वरोजगार उत्पन्न कर सकते हैं। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए दो वर्षीय एमसीए के पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. राजबीर सोलंकी ने कहा कि कंप्यूटर साइंस विभाग ने आत्मनिर्भर भारत को ध्यान में रखते हुए जिस प्रकार पाठ्यक्रम बनाने की पहल की है वह विश्वविद्यालय द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत बनाने के सपने को साकार करने में बड़ा कदम साबित होगा। उन्हें विश्वास है कि देश के अन्य विश्वविद्यालय इसका अनुसरण कर पाठ्यक्रम निर्धारित करेंगें। पाठ्यक्रम में बदलाव कर देश को आत्मनिर्भर बनाने में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सहयोग करेंगे। अलग-अलग रूचि रखने वालों के लिए एमसीए में अलग पाठ्यक्रम सीआरएसयू के कंप्यूटर साइंस एवं एप्लीकेशन विभाग के चेयरपर्सन डा. अनुपम भाटिया ने बताया कि एमसीए दो वर्ष कार्यक्रम में जिन विद्यार्थियों ने बीसीए किया हुआ है अथवा स्नातक स्तर पर सभी समेस्टर में कंप्यूटर साइंस का विषय पढ़ा हो उन्हें दो वर्षीय एमसीए प्रोग्राम में सीधा प्रवेश मिलेगा और जिन विद्यार्थियों ने कंप्यूटर साइंस विषय स्नातक में नहीं पढ़ा है लेकिन 12वीं कक्षा में गणित विषय पास किया है उन्हें पीजीडीसीए के उपरांत एमसीए में सीधा प्रवेश मिल सकता है। दो वर्षीय पाठ्यक्रम में एमसीए में अलग-अलग रुचि रखने वाले विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है।
पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए टीसीएस आदि कंपनियों के वरिष्ठ कर्मचारियों का सहयोग लिया जा रहा है ताकि विद्यार्थियों को भविष्य में रोजगार के लिए भटकना ना पड़े। जो विद्यार्थी डाटा साइंस में अपना बनाना चाहते हैं उनके अलग पाठ्यक्रम रहेगा और जो शोध एवं टीचिंग में जाना चाहते हैं उनके लिए अलग पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। कंप्यूटर साइंस में बाकी नौकरियों एवं स्वरोजगार के लिए अलग पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। ऐसा करने वाला सीआरएसयू भारत का इकलौता विश्वविद्यालय बनने जा रहा है।