बन गया कानून ग्रामीणों को मिली सरपंच को हटाने की पावर!
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कई कानून पास किए उन्होंने पंचायत चुनाव में महिलाओं को 50% आरक्षण देने के साथ-साथ राइट टू रिकॉल कानून भी पास करवाया जिसके तहत मतदाता अपने जनप्रतिनिधि को 1 वर्ष बाद उसके कार्य से संतुष्टि ना होने पर हटा सकेंगे यानी ग्रामीण सरपंच का चुनाव 5 वर्ष के लिए करते हैं 1 वर्ष बाद अगर ग्रामीण अपने सरपंच से संतुष्ट नहीं है तो उसके खिलाफ राइट टू रिकॉल पावर का इस्तेमाल करके उसको हटा सकेंगे
यह प्रक्रिया ऐसे होगी कि सबसे पहले 33% ग्रामीणों को सरपंच के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पास करना होगा जो ग्राम पंचायत अधिकारी के पास भेजना होगा इसके बाद गांव में सभा होगी और चर्चा की जाएगी फिर पंचायत अधिकारी गुप्त वोटिंग करवाएगा गुप्त वोटिंग अगर 67 फ़ीसदी सरपंच के विरुद्ध गई तो वह सरपंच अपने पद से मुक्त हो जाएगा और गांव में दोबारा चुनाव होगा सरपंच के साथ-साथ यह प्रणाली पार्षद और ब्लॉक समिति पर भी लागू होगी इस बात की घोषणा उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला पहले ही कह चुके थे
राइट टू रिकॉल बिल लाया जाएगा जिससे ग्रामीणों को यह अधिकार होगा कि 1 वर्ष बाद वह अपने सरपंच को हटा सकेंगे मुख्यमंत्री के इस बयान पर विपक्ष ने चुटकी ली थी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा था कि अगर राइट टू रिकॉल बिल विधायकों और सांसदों पर लाया जाए तो पूरी भाजपा हरियाणा प्रदेश से गायब हो जाएगी फिलहाल राइट टू रिकॉल बिल पंचायत संशोधन नियम 2020 के अंतर्गत लाया जा चुका है