गुदा की बीमारी से बचाव एवं सर्जरी के नए तरीके बताने के लिए राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन
कार्यशाला में प्रदेश के विभिन्न जिलों के साथ अन्य प्रदेशों के चिकित्सकों ने भी लिया भाग झोला झाप चिकित्सकों के चंगुल से मरीजों को बचना चाहिए : डॉ. सिंगला
स्थानीय कचहरी रोड़ स्थित सिंगला अस्पताल में सोमवार को गुदा की बीमारी से बचाव एवं सर्जरी के नए तरीकों को सांझा करने के लिए एक दिवसीय लाईव कार्यशाला का आयोजन किया गया।
स्थानीय कचहरी रोड़ स्थित सिंगला अस्पताल में सोमवार को गुदा की बीमारी से बचाव एवं सर्जरी के नए तरीकों को सांझा करने के लिए एक दिवसीय लाईव कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस दौरान कार्यशाला में करीबन 50 चिकित्सक पहुंचे तो देश भर से करीबन 400 चिकित्सकों ने ऑनलाईन तौर पर भाग लिया। एक दिवसीय कार्यशाला में रोहतक, गुरूग्राम, हिसार, झज्जर, जींद के अलावा छत्तीसगढ़ के अलावा, दिल्ली, मुंबई, श्रीनगर से भी चिकित्सक यहां पहुंचे थे तथा उन्होंने जानकारी दी। इस मौके पर एसोसिएशन ऑफ कोलोरेक्टल सर्जन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. नसीर, सचिव डॉ. कुशल मित्तल, एसएस मैराज, डॉ. श्याम कुमार गुप्ता, डॉ. गौरव जिंदल, डॉ. विनोद जांगड़ा विशेष तौर पर पहुंचे। इस दौरान जानकारी देने के अलावा गुदा रोग के मरीजों के ऑप्रेशन भी किए गए।
इस मौके पर डॉ. संजय सिंगला ने कहा कि गुदा की बीमारी एक ऐसी बीमारी है, जो हर समय तकलीफ देती है। उन्होंने कहा कि गुदा की बीमारी के कई तरह से इलाज हैं। उन्होंने लोगों से खास अपील की कि सडक़ किनारे दीवारों पर या होर्डिंग पर लगे स्लोग्ननों कि एक दिन में बवासीर से छुटकारा पायें. या एक इंजेक्शन लगाते ही बवासीर से छुट्टी मिल जाएगी, ऐसे किसी बहकावे में आकर झोला झाप चिकित्सक चंगुल ना आए। किसी अच्छे चिकित्सक को ही दिखाए।
उन्होंने कहा कि आज यहां लाईव कार्यशाला में गुदा के रोग से संबंधित जानकारी एवं सर्जरी की तकनीकों के बारे में जानकारी दी गई हैं, जिसका निश्चित तौर पर लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि ऐसी र्काशालाएं चिकित्सकों के भी कैरियर में मील का पत्थर साबित होती, जिनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता हैं। वही इस मौके पर एसोसिएशन ऑफ कोलोरेक्टल सर्जन ऑफ इंडिया के सचिव डॉ. कुशल मित्तल ने कहा कि बवासीर दो तरह की होती हैं।
एक में इंटरनल पाइल्स होती है, जबकि दूसरी एक्सटर्नल पाइल्स यानी मांस (मस्सा) का एक छोटा सा हिस्सा बाहर की ओर निकला होता है। उन्होंने बताया कि आज इस कार्यशाला में ऑप्रेशन से संबंधित जानकारी दी गई है। गुदा रोग के लक्षण बताते हुए डॉ. मित्तल ने कहा कि गुदा रोग से संबंधित मरीजों को मल त्याग के समय दर्द वरक्त या म्यूकस आने, एनस के आसपास सूजन या गांठ होने, एनस के आसपास खुजली होने, पाइल्स के मस्सों से सिर्फ खून आने की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन अच्छे चिकित्सक की सलाह व ईलाज से मरीज ठीक हो सकता है।