बापू के चरखों का आखिरी सफर
आज से 20-25 साल पहले तक हथकरघा नगरी पानीपत में हजारों की संख्या में चरखे चलते थे। लेकिन आधुनिक दौर में वाईन्डर मशीनों के आ जाने से वे चरखे अब आउटडेटेड हो चुके हैं। यह कारण है कि प्रचलन से बाहर हो चुके ये चरखे अब ढूंढने से भी नहीं मिलते। ऐसे समय में ये मिनी सचिवालय के पीछे स्थित शिवधाम शिवपुरी के लकड़ी के भण्डार में नजर आ रहे हैं। जिन्हें शायद कोई उद्योगपति इसे लकड़ी का ढेर समझकर दान कर गया है। लकड़ी के साथ पड़े-पड़े ये चरखे भी अपनी अंतिम यात्रा का इंतजार कर रहे हैं।