हरियाणा एसटीएफ के पुलिसवाले दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर बने ”किडनैपर”
पीड़ित बिजनसमैन संजीव कुमार ने बताया कि आरोपियों ने उनसे लूटे गए 19 लाख रुपये रखते हुए कहा कि अपनी रकम गिन लो, पूरी निकलेगी। पीड़ित के दोस्त ने भी कहा कि वह पैसे लेकर मामले को रफादफा करें। चारों तरफ से दबाव बनाए जाने की वजह से वह समझौते के लिए तैयार हो गए। आरोपियों ने पीड़ित से पहले जिस पेज पर साइन कराए थे, उसके ऊपर लिखा था कि एएसआई संदीप, हेड कॉन्स्टेबल लोकेश, जितेंद्र, सुमित, सचिन और सिपाही प्रमोद को शक था कि वह विदेशी हथियरों की सप्लाई करता है। इस शक के आधार पर उन्होंने उनसे कानून के दायरे में रहकर पूछताछ की।
गहन पूछताछ करने के बाद जब उन्हें पक्का भरोसा हो गया कि वह इस तरह का कोई गैरकानूनी काम नहीं करता है तो उसे छोड़ दिया। इस दौरान बिजनसमैन के साथ किसी तरह का बुरा बर्ताव नहीं किया गया। पुलिसवालों ने उसे चाय भी पिलाई। पीड़ित बिजनसमैन को लगा कि पुलिसवाले अपनी जान बचाने के लिए उलटा उसे ही फंसा रहे है तो उन्होंने जिस लेटर पर साइन किए थे उसे फाड़ दिया। इससे पहले तक पीड़ित को पुलिसवालों के नाम नहीं पता थे। सभी छहों आरोपियों के नाम आ जाने के बाद उन्होंने अपने वकीलों के माध्यम से केस का स्टेटस जानने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
दिल्ली पुलिस ने कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ही पीड़ित को एफआईआर की कॉपी दी
दिल्ली पुलिस ने एसीएमएम जितेंद्र सिंह की कोर्ट में जो स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की उसमें पुलिस ने कहा कि इस मामले में तफ्तीश चल रही है। जांच अधिकारी की तरफ से दाखिल की गई रिपोर्ट में कोर्ट को बताया गया कि अभी तक पीड़ित जांच में शामिल नहीं हो रहे थे। इस कारण इस मामले में देरी हुई। स्टेटस रिपोर्ट में पुलिस ने यह साफ नहीं किया कि 19 दिन तक उनकी जांच कहां तक पहुंची, जबकि पुलिस अभी तक आरोपियों को अरेस्ट नहीं कर पाई। इस पूरे मामले को लेकर 17 नवंबर को हरियाणा एसटीएफ के डीएसपी कप्तान सिंह से बात की गई थी। तब उनका कहना था कि अभी तक इस संबंध में उन्हें कोई शिकायत नहीं मिली। अगर कोई कंप्लेंट आती है तो ऐक्शन लिया जाएगा।