कांग्रेस का मोदी पर हमला, नीति आयोग के संशोधित जीडीपी आंकड़े एक मजाक है
संप्रग सरकार के समय के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) आंकड़ों में संशोधन को “बेहूदा मजाक” करार देते हुए कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि मोदी सरकार के इशारे पर नीति आयोग ने जो कुछ भी किया है उससे देश के मान-सम्मान को क्षति पहुंची है। पार्टी ने इस संस्थान को खत्म करने की मांग की। विपक्षी दल ने इस कदम का बचाव करने के लिये वित्त मंत्री अरुण जेटली की आलोचना की। कांग्रेस ने इसे ‘‘भारतीय सांख्यिकी की शुचिता पर जोरदार प्रहार’’ बताया है।
कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, ‘‘नीति आयोग के संशोधित जीडीपी आंकड़े एक मजाक है। यह एक ‘बेहुदा मजाक’ है। असल में यह ‘बेहुदा मजाक’ से भी बदतर है। यह सब नीति आयोग का किया धरा है। अब समय आ गया है कि इस बेकार निकाय, नीति आयोग, को बंद कर दिया जाये।’’ पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने भी संस्था की निंदा करते हुए कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के अहम को तुष्ट करने के लिये जीडीपी आंकड़ों में फर्जीवाड़ा कर और भारतीय अर्थव्यवस्था के दयनीय प्रदर्शन तथा कुप्रबंधन को छुपाकर सांख्यिकी मंत्रालय एवं नीति आयोग ने देश के मान सम्मान को नुकसान पहुंचाया है।’
भारतीय आंकड़ों की विश्वसनीयता
उन्होंने कहा कि भारतीय आंकड़ों की विश्वसनीयता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सवालों के घेरे में आ गयी है। इस कदम से इससे पहले का जीडीपी आंकड़ा तैयार करने वाले भारतीय सांख्यिकी संस्थान तथा विशेषज्ञों की विश्वसनीयता को गंभीर नुकसान पहुंचा है। शर्मा ने कहा, ‘‘यह देखना निराशाजनक है कि वित्त मंत्री भारतीय सांख्यिकी की शुचिता पर हुए इस जोरदार प्रहार का बचाव कर रहे हैं।’’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा, ‘‘प्रतिष्ठित केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) अब नमो (नंबर्स एडजस्टमेंट एंड मैनीपुलेशन ऑर्गेनाइजेशन) बन गया है।’’ उन्होंने भारतीय सांख्यिकी अनुसंधान के पिता माने जाने वाले पी सी महालानोबिस का उल्लेख किया।
अर्थव्यवस्था की औसत वृद्धि
बाद में एक ब्लॉग पोस्ट में जेटली ने कहा कि संशोधित आर्थिक वृद्धि के आंकड़ों ने कांग्रेस पार्टी के उस आखिरी दलील को भी खत्म कर दिया है कि ‘‘हमारे (कांग्रेस के) समय की जीडीपी वृद्धि आपके समय से अधिक है।’’ संशोधित आंकड़ों के अनुसार कांग्रेस की अगुवाई वाली पिछली संप्रग सरकार के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था की औसत वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रही, जबकि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में यह 7.3 प्रतिशत रही है। पहले जो आंकड़े आए थे उसके अनुसार संप्रग के दस साल के कार्यकाल में औसत वृद्धि दर 7.75 प्रतिशत रही थी।