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दोषी आईएएस अधिकारियों पर केस दर्ज हो, वर्ना विजिलैंस ब्यूरो व लोकायुक्त कोर्ट भंग करने की मांग

हरियाणा में विजिलैंस ब्यूरो व लोकायुक्त को भंग करने की प्रधानमंत्री व भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष से मांग


चंडीगढ़, विनोद लाहोट।

बहुचर्चित अम्बाला मनरेगा घोटाले की लोकायुक्त जांच में दोषी चार आईएएस पर कारवाई ना होने का मामला प्रधानमंत्री व भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के दरबार में पहुंचा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को शिकायत भेजकर आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने बहुचर्चित अम्बाला मनरेगा घोटाले की विजिलैंस व लोकायुक्त जांच में दोषी पाए गए चार वरिष्ठ आईएएस के विरूद्ध कारवाई की मांग की है।


करोड़ों रूपये के अम्बाला मनरेगा घोटाले की विजिलैंस लोकायुक्त जांच में दोषी पाए चार आईएएस पर खट्टर सरकार मेहरबान


शिकायतकर्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली खट्टर सरकार दागी आईएएस अधिकारियों को बचा रही है। उन्होंने मांग करी कि या तो इन चारो आईएएस पर तत्काल आपराधिक मुकद्दमा दर्ज हो, वर्ना हरियाणा में विजिलैंस ब्यूरो व लोकायुक्त को भंग करके भ्रष्टाचार को कानूनी मान्यता दी जाए। घूसखोरी की लिस्टें हर कार्यालय के बाहर लगवा दी जाएं। भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टॉलरेंस के दावे करना हरियाणा सरकार बन्द करे। तीन राज्यों के चुनावों में भाजपा की हार से सबक लेते हुए भ्रष्ट आईएएस के खिलाफ खट्टर सरकार तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। वर्ना हरियाणा में भी यही दुर्दशा होगी।


चार आईएएस पर केस दर्ज करने के लोकायुक्त के आदेश डेढ़ साल से पड़े हैं ठंडे बस्ते में


कपूर ने बताया कि वर्ष 2007-10 के बीच अम्बाला में पेड़-पौधे लगाने, नर्सरी, हर्बल पार्क विकसित करने की मनरेगा परियोजना में घोटाला किया। कुल 25.14 करोड़ रूपये को वन विभाग के अधिकारी व अम्बाला के तत्कालीन डीसी व एडीसी डकार गए। इस घोटाले की जांच रिपोर्ट तत्कालीन डीजीपी (विजिलैंस) शरद कुमार ने 16 नवम्बर 2012 को मुख्य सचिव हरियाणा को सौंप दी थी।


इस जांच रिपोर्ट में वन विभाग के डीएफओ जगमोहन शर्मा, फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर गोकुल शर्मा, राजेश राणा, प्रशांत शर्मा, विनोद कुमार, लक्ष्मणदास व दीपक अलहाबादी व तत्कालीन जिला उपायुक्त आईएएस समीर पाल सरों, मोहम्मद शाईन, रेणु फुलिया, सुमेधा कटारिया व आरपी भारद्वाज को भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया। डीजीपी (विजिलैंस) ने जहां वन विभाग के अधिकारियों के विरूद्ध धोखाधड़ी, गबन, जालसाजी का मुकद्दमा दर्ज करने की सिफारिश की वहीं इन पांचों आईएएस के विरूद्ध सरकार को अपने स्तर पर कारवाई करने की रिपोर्ट दी। लेकिन ना तो तत्कालीन हुड्डा सरकार और ना ही खट्टर सरकार ने किसी के विरूद्ध कोई कारवाई की।


दोषी आईएएस पर कोई कारवाई नहीं


गत 13 जनवरी 2015 को वर्तमान मुख्यमंत्री को इस घोटाले की शिकायत की तो उन्होंने 29 जनवरी को वन विभाग के अधिकारी जगमोहन शर्मा सहित 9 कर्मियों पर स्टेट विजिलैंस ब्यूरो अम्बाला में एफआईआर दर्ज करा दी, लेकिन दोषी आईएएस पर कोई कारवाई नहीं की। कपूर ने बताया कि इन पांचों आईएएस के विरूद्ध उन्होंने 31 जनवरी 2015 को लोकायुक्त हरियाणा में शिकायत की। जांच में दोषी पाते हुए लोकायुक्त जस्टिस एनके अग्रवाल ने 26 मई 2017 को इन चारों आईएएस पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत आपराधिक मुकद्दमा दर्ज करने व की गई कारवाई की रिपोर्ट 90 दिन में हरियाणा सरकार से तलब की।


हरियाणा सरकार ने वरिष्ठ आईएएस नवराज संधू के नेतृत्व में एक उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी गठित करके उससे लोकायुक्त रिपोर्ट पर टिप्पणी मांगी। इस उच्च स्तरीय कमेटी ने आज तक कोई रिपोर्ट सरकार को नहीं दी। इसी बीच खट्टर सरकार ने लोकायुक्त जांच में दोषी पाए गए रेणु फुलिया व सुमेधा कटारिया को एचसीएस से प्रमोट करके आईएएस अधिकारी बना दिया। जबकि इसी बीच आईएएस अधिकारी आरपी भारद्वाज रिटायर हो गए। कपूर ने कहा कि इसका सीधा मतलब है कि भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली खट्टर सरकार इन भ्रष्ट आईएएस अफसरों को खुला संरक्षण दे रही है।


जब जांच में दोषी पाए गए आईएएस अफसरों पर कारवाई ही नहीं करनी तो हरियाणा में स्टेट विजिलैंस ब्यूरो व लोकायुक्त कार्यालय क्यों खोल रखे हैं? इन्हें बंद करके भ्रष्टाचार को कानूनी मान्यता दे देनी चाहिए। रिश्वत व कमीशनखोरी की लिस्टें जनहित में सभी सरकारी दफ्तरों पर लगा देनी चाहिए।


 

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