शिवराज भाजपा को करीब करीब सत्ता में ले ही आए थे पर किस्मत कांग्रेस के साथ
शिवराज सिंह चौहान ने अपने दम पर कांग्रेस को जबरदस्त टक्कर दी लेकिन बहुमत से 7 सीट दूर रह गए। पिछले 15 सालों में बने एंटी इंकम्बैंसी के माहौल के बावजूद शिवराज भाजपा को करीब करीब सत्ता में ले ही आए थे पर किस्मत कांग्रेस के साथ थी। अब सबसे बड़ा सवाल है कि सत्ता छिन जाने के बाद प्रदेश की राजनीति में अब उनका क्या भविष्य है और भाजपा की लड़ाई को यहां कौन आगे बढ़ाएगा।
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2005 से शुरू हुआ था सफर
59 साल के शिवराज का मध्यप्रदेश के सीएम का सफर दिलचस्प और नेतृत्व करिश्माई रहा है। 2005 में शिवराज को राज्यपाल बलराम जाखड़ ने सीएम पद की शपथ दिलाई थी। उस दौर में भाजपा में सीएम पद को लेकर चले लंबे ड्रामेबाजी के बाद शिवराज को कमान सौंपी गई थी। बाबूलाल गौर की जगह उन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई और वह इस पर खरे उतरे। उन्होंने भाजपा को 2008 और 2013 में सत्ता दिलाई।
मध्यप्रदेश में यूं विदाई शिवराज के लिए बड़ा झटका रही। उनके बयान बताते हैं कि वह वापसी को लेकर किस कदर आश्वस्त थे। मतगणना से पहले उन्हें सभी एग्जिट पोल को खारिज करते हुए कहा था कि सबसे बड़ा सर्वेयर मैं हूं। लेकिन इस बार उनके आकलन में चूक हुई और वल्लभ भवन से विदाई
लेनी पड़ी।