संसार

 शिशु भारती हाई स्कूल प्रांगण में किया भजन संध्या का आयोजन

परमात्मा के बिना मनुष्य को नहीं मिलती शांति: भिक्षु

भिवानी, 23 दिसंबर । भारत प्रसिद्ध बृज रस रसिक चित्र विचित्र जी द्वारा देर रात स्थानीय शिशु भारती हाई स्कूल प्रांगण में विशाल भजन संध्या में प्रस्तुत किए गए भजनों ने उपस्थित हजारों श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।
 प्रख्यात संगीतज्ञों द्वारा मधुर वाणाी से ठाकुर जी के भजनों के गुणगान ने चार घंटे तक रंग जमाया। स्वामी दिव्यानंद जी महाराज भिक्षु के सानिध्य में आयोजित इस विशाल भजन संध्या में भिवानी सहित आस पास के शहरों के लोगों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। शाम 5 बजे से लेकर रात 11 बजे तक चले इस कार्यक्रम मेें नगरवासी जमकर थिरके।
 प्रमुख समाज सेवी एवं शिशु भारती प्रचार समिति के संयोजक विनोद मिर्ग के संयोजन में आयोजित इस भजन संध्या में खासतौर पर च्च् काली कमलीवाला मेरा यार है, मेरे मन का मोहन तू दिलदार है, मन मोहन मैं तेरा दिवाना तू मेरा मैं तेरा जीवन सहाराच्च्  भजन जब चित्रविचित्र ने प्रस्तुत किया तो पण्डाल में उपस्थित लोग अपने पैरों पर खड़े होकर खूब नाचे।
 उन द्वारा प्रस्तुत किया गया च्च् मेरी विनती है राधा राणी कृ पा बरसाए रखनाच्च्  भजन ने भी लोगों को ठाकुर जी की भक्ति में लीन कर दिया।
 च्च् हम हो गए राधा राणी उंचे बरसाने वाली के, हम घूम घूम कर कहते हैं हम हो गए राधा राणी के च्च् भजन ने भी खूब रंग जमाया।
 इस अवसर पर डा. स्वामी दिव्यानंद जी महाराज भिक्षु ने अपने प्रवचन प्रस्तुत करते हुए कहा कि हमारा पल-पल उत्सव होना चाहिए और हमें दिमाग की बजाए दिल से प्रभु का याद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संकीर्तन के माध्यम से परमात्मा के निकट पहुंचा जा सकता है। संकीर्तन में डूबना चाहिए और डूबे बिना कु छ हासिल नहीं होगा।
  उन्होंंने कहा कि जैसे पानी के बिना बगीया नहीं खिलती उसी प्रकार परमात्मा के बिना शांति नहीं मिलती। जैसे हम सम्पति और सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए प्रयास करते हैं कुछ अभ्यास परमात्मा से जुडऩे का भी करना चाहिए। प्रभु नाम सुमिरन प्रभु से जुडऩे का सरलतम उपाय है। प्रभु नाम को बार-बार कह सुन लेना नाम अभ्यास नहीं अपितू इस नाम का श्रद्धा प्रेम से भरकर ह्दय में उतर जाना अभ्यास है और इसी रस की अनुभूति से जब रोम रोम पुलकित होकर स्पन्दित होने लगता है उसी स्पनदन और थिरकन को नृत्य कहा जाता है। इसी भाव दशा का दूसरा नाम संकीर्तन है।
 कार्यक्रम में कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अविनाश चावला जी का विभिन्न संस्थाओं की ओर से नागरिक अभिनंदन किया गया। उन्हेंं शॉल व स्मृति चिन्ह भेंटकर करके उन्हें सम्मानित किया गया।

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