करनाल

नाईट डोमिनेषन के दौरान करनाल पुलिस के हत्थे चढ़ा यु.पी. पुलिस का हिस्ट्ीसीटर, करनाल की दो लाख रूपये की चोरी का हुआ खुलासा  

 करनाल पुलिस अधीक्षक करनाल श्री सुरेन्द्र सिंह भौरिया के आदेषों अनुसार अपराधीक गतिविधियों को रोकने के लिए दिनांक 21.12.18 की रात को जिला पुलिस द्वारा नाईट डोमिनेषन चलाया गया था। जिसके तहत इन्चार्ज सी.आई.ए-01 निरीक्षक दिपेन्द्र राणा द्वारा अपनी एक टीम को ए.एस.आई. रामफल की अध्यक्षता में मेरठ रोड़ करनाल पर नाकाबंदी करके चैकिंग करने के लिए रवाना किया।
     ए.एस.आई. रामफल ने रात करीब 09ः00 बजे अपनी टीम के साथ मेरठ रोड़ करनाल पर पहुंचकर सै0-06 ग्रीन बैल्ट के पास नाकाबंदी की और मंगलौरा की ओर से आने वाले वाहनों की चैकिंग करने लगे। रात करीब 10ः30 बजे मंगलौरा की ओर से एक मोटर साईकिल पर सवार दो व्यक्ति नाका की ओर आए, लेकिन सामने पुलिस नाकाबंदी देखकर वे थोड़ी दूर पहले ही रूक गए और मुड़कर वापिस भागने का प्रयास करने लगे। परंतु पुलिस टीम अपनी मुस्तैदी का परिचय देते हुए, उसी समय उनकी ओर दौड़ी जिसे देखकर मोटरसाईकिल पर पिछे बैठा व्यक्ति उतरकर पैदल ही वहां से भाग निकला व दूसरे को पुलिस ने मोटर साईकिल सहित दबोच लिया। जब पुलिस द्वारा उससे पुछा गया कि वह भागने का प्रयास क्यों कर रहा था, तो उसने पुलिस को गुमराह करने के लिए कहा कि वह नाकाबंदी देखकर घबरा गया था और इसीलिए भागने का प्रयास कर रहा था।
      लेकिन ए.एस.आई. रामफल ने अपनी कुषलता का परिचय देते हुए उस मोटर साईकिल के नंबर को देखकर कहा कि पिछले काफी दिनों से एक चोरी के मामले में उन्हें इस नंबर की मोटर साईकिल की तलाष थी। जो उससे सख्ती से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि दिनांक 20.11.18 को मैने अपने एक साथी के साथ थाना सिविल लाईन करनाल के सामने खड़ी एक कार से 2,00,000 लाख रूपये चोरी किए थे।
      इस सबंधं में छानबीन करने पर सामने आया कि दिनांक 20.11.18 को थाना सिविल लाईन करनाल में सतपाल शर्मा पुत्र रामप्रसाद वासी गंजो गढ़ी थाना मधुबन जिला करनाल ने षिकायत दी थी कि वह अपनी गाड़ी थाना सिविल लाईन के सामने खड़ी करके सड़क की दूसरी ओर वकील के कार्यालय में किसी कार्य से गया था और कुछ देर बाद वापिस आया तो उसकी गाड़ी की खिड़की का लाक टूटा हुआ था व ड्ाईवर सीट के निचे रखे 2,00,000 लाख रूपये भी गायब थे। जिसकी षिकायत पर थाना सिविल लाईन में मुकदामा नं0-959/20.11.18 धारा 380 भा.द.स. के तहत दर्ज किया गया था।

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