गोविंद नामदेव ओर राजेंद्र गुप्ता को पाईट कॉलेज में मिला रास रंग सम्मान |
रास कला मंच द्वारा स्टेज एप 10 वां चलो थिएटर नेशनल फेस्टिवल में पाईट कॉलेज के डॉ ऐ पी जे अब्दुल कलाम ऑडिटोरियम में फिल्म जगत ओर थिएटर के प्रसिद्ध अभिनेता ओर रंगकर्मी गोविंद नामदेव ओर राजेंद्र गुप्ता पहुंचे | दोनों कलाकारों को रास रंग सम्मान से सम्मानित किया गया | ओह माय गॉड , बैंडिट क्वीन , विरासत , दम मारो दम , कच्चे धागें , क़यामत , फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी जैसी सैंकड़ो हिट फिल्मों में काम कर चुके गोविंद नामदेव बॉलीवुड में पहले से एक बड़ा मुकाम हासिल कर चुके है | वही टेलीविजन की दुनिया के मशहूर कलाकार राजेंदर गुप्ता जो कि बॉलीवुड फिल्मों के अलावा चन्दर्कांता , इंतेज़ार , ब्योमकेश बख्शी , और साया जैसे टीवी सीरियलों से अपनी पहचान बना चुके है | जैसा कि रास कला मंच ने पाईट कॉलेज में एक सप्ताह का थिएटर नाटक का कार्यक्रम चलाया हुआ है , कार्यक्रम के पांचवे दिन इन दोनों कलाकारों को सम्मानित किया गया | राजेंदर गुप्ता ने रवि मोहन और पाईट मैनेजमेंट का आभार प्रकट किया और उन्हें आने वाले समय के लिए ढेरो शुभकामनायें दी | स्टेज एप की तरफ से रास कला मंच के आर्टिस्ट ग्रेट इंडियन कॉमेडी चैलेंज के प्रतिभागी विश्वाश चौहान भी कार्यक्रम में पहुंचे | मुख्य अतिथि रामनिवास गोयल , समाजसेवी एवं उधोगपति , अति विशिष्ट अतिथि हरीश गुप्ता , एम डी लिबर्टी फुटवियर करनाल , रमेश बजाज , आर टी एन , डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रोटरी 3080 , विभु पालीवाल , निर्यातक , चेयरमैन हरिओम तायल , मेंबर सेक्रेटरी सुरेश तायल , राकेश तायल ,वाईस चेयरमैन द्वारा सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम की शुरआत की गई | ओपेन एयर थिएटर मे नल दमयंती स्वांग उस्मान सांग पार्टी द्वारा सांग प्रस्तुत किया गया | उसके बाद रास कला मंच सफीदों की टीम ने मानव कौल द्वारा लिखित, रवि मोहन और सहायक निर्देशक आदित्य पंडिता द्वारा निर्देशित नाटक ‘बली और शंभू’ का मंचन किया | नाटक में वृद्धाश्रम मे रहने वाले दो पूरी तरह से अलग – अलग वृद्धों के जीवन को दर्शाया गया | नाटक में प्रेम नागल ,सुधांशु गिरि , मोहित कुमार ,रूबी चौहान ,प्रेरणा सिंह ,अनुज कुमार , इन छह कलाकारों ने पात्र निभाए जिसमे प्रेम नागल ने शंभू जो अलग रहता है जो जीवन को शांतिपूर्ण तरीके से जी रहा है और सुधांशु गिरि ने बली का किरदार निभाया जो की शंभु से एकदम विपरीत है , ओर वह वृद्धाश्रम मे उसके कमरे मे रहने आता है और बली अंतहीन मज़ाक़ों से शंभू का एकांत एकदम शांत से अशांत कर देता है | उनके बीच मौखिक झगड़े और संवाद दर्शकगणों को लोटपोट करते है तो वहीं दोनों के अतीत मे कुछ खुशी ओर दुख जो की दोनों को वृद्धाश्रम मे शरण लेने को मजबूर करते है दर्शकों को भावुक करता है | ये नाटक संदेश देता है की वृद्धाश्रम या सेवानिर्वित के घर सुने और निराशजनक नही है ओर बताया की बुढ़ापा बचपने का पुनराग्मन होता है | गोविंद नामदेव ने भी नाटक का पूरा आनंद लिया और रवि मोहन की टीम को इस शानदार नाटक के लिए बधाई दी | मंच से परे मंच निर्माण दीपक शर्मा , प्रकाश प्रिकलपना पावन भारद्वाज ,संगीत संचालन रवीन्द्र सिंह ,वस्त्र विन्यास योगिता शर्मा ,रूपसज्जा यशुदाश , मंच सहायक नयुम अंसारी ,सोहन कुमार ,सुरेश निर्वाण ,दिनेश कुमार , अर्पित यादव ,बुधराम ,गौरव सक्सेना ,अंकित चौधरी ,धीरज शर्मा , रहे | रास कला मंच द्वारा मुख्य अतिथि राम निवास गुप्ता , हरीश गुप्ता और रमेश बजाज को शाल और मोमेंटो देकर सम्मानित किया | इस दौरान मेंबर बी ओ जी शुभम तायल , राजीव गुलाटी , डॉ बी बी शर्मा ,निशांत बंसल ,जन संपर्क अधिकारी ओ पी रनोलिया , अरिंदम भटाचार्य, मोनिका सलूजा , धीरज मलिक , कनिष्क गुप्ता , डॉ रजत बल्दुआ , कुलभूषण अरोड़ा , अंजलि अरोड़ा , विकास कुमार , देवकी , पालिका आदि मौजूद रहे |