ऑक्सीजन का कहीं न होने दें दुरूपयोग : उपायुक्त निशांत कुमार यादव
उपायुक्त ने बैठक में कोविड में ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर लगाए गए अधिकारियों से ली फीडबैक, दिए आवश्यक निर्देश।
करनाल प्रशासन की ओर से प्राईवेट अस्पतालों में कोविड रोगियों के लिए ऑक्सीजन की रोजाना जरूरत पूरी की जा रही है, लेकिन इसका दुरूपयोग न हो। इसी मकसद को लेकर उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने प्राईवेट अस्पतालों पर निगरानी के लिए लगाए गए ड्यूटी मैजिस्ट्रेटों के साथ शनिवार को लघु सचिवालय के सभागार में एक बैठक कर फीडबैक ली और उन्हें आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
बैठक में उपमंडलाधीश आयुष सिन्हा, एसीयूटी प्रदीप कुमार, उपमंडलाधीश इंद्री एवं ऑक्सीजन सप्लाई के नोडल अधिकारी सुमित सिहाग तथा सिविल सर्जन डा. योगेश शर्मा भी मौजूद रहे।
उपायुक्त ने बताया कि शहर के करीब 16 निजी अस्पतालों में कोविड के मरीजों का ईलाज हो रहा है। इनमें आईसीयू और वैंटिलेटर युक्त आईसीयू पर ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है, जो रोजाना सप्लाई की जा रही है। यह सिलसिला चलता रहे इसके लिए जरूरी है कि ड्यूटी मैजिस्ट्रेट अपनी निगरानी रखें, ऑक्सीजन सिलेंडर का वजन, मरीज की जरूरत अनुसार ऑक्सीजन का फ्लो देखते रहें ताकि देश और प्रदेश में ऑक्सीजन की बढ़ती मांग के दृष्टिïगत सप्लाई युक्तिसंगत बनी रहे।
उन्होंने कहा कि प्राईवेट अस्पतालों में रोगियों के लिए जरूरत के अनुसार मांग अवश्य पूरी की जाएगी ताकि ऑक्सीजन की कमी से किसी को अपनी जान न गंवानी पड़े, लेकिन इसके लिए ध्यान देने योग्य बात यह है कि निजी अस्पताल अधिक पैसा कमाने के लालच में बाहर से आने वाले मरीजों को दाखिल कर लेते हैं। अस्पतालों में उपलब्ध कोविड और नॉन कोविड के बैडों को चैक करते रहें, ऐसा न हो कि लालच में कोई अस्पताल ऑक्सीजन की जरूरत पूरी न कर सके और किसी की जान चली जाए। ऐसी घटना के लिए उन्होंने कुछ दिन पहले चर्चा में रहे कई जिलों का उदाहरण दिया।
डीसी ने बताया कि वर्तमान में मोटे तौर पर निजी अस्पतालों व केसीजीएमसी की रोजाना 12 टन ऑक्सीजन की जरूरत बनी हुई है, जिसे पूरा किया जा रहा है। ऐसे में ड्यूटी मैजिस्ट्रेट सुनिश्चित करें कि निजी अस्पताल में कितने मरीज दाखिल हैं, कितनों को ऑक्सीजन की जरूरत है और कितने डिस्चार्ज किए जा सकते हैं। प्रशासन अस्पतालों की मांग पर नहीं, आपकी बताई गई जरूरत पर विश्वास करके उसे पूरी करेगा, क्योंकि अस्पताल केवल अपना भला देखते हैं और प्रशासन की जिम्मेदारी पूरा जिला देखने की है। उन्होंने कहा कि दिन में दो-तीन बार अस्पतालों का राऊंड लेते रहें, ऑक्सीजन की कैलकुलेशन भी करें, इसमें ज्यादा समय नहीं लगता।
भरे हुए सिलेंडर पर हरे रंग का और खाली सिलेंडर पर लाल रंग का स्टीकर लगा लिया जाए तो अच्छा है। जो भी अस्पताल भरे हुए सिलेंडर की मांग करे, उससे कहें कि पहले खाली सिलेंडर दें, ज्यादा डिमांड की सूरत में इसे वैरिफाई करें, क्योंकि कईं अस्पतालों में एक्सट्रा स्टोर रखने की नियत से जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन की मांग की जाती है, जबकि उनमें आधे से ज्यादा मरीज नॉन कोविड के भी होते हैं। ऐसी स्थिति में धांधली न होने पाए।
मीटिंग में डीसी ने अस्पतालों में उपलब्ध बैड पर भी कुछ देर चर्चा की और कहा कि कोरोना के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए केसीजीएमसी से कोविड के रोगी प्राईवेट में रैफर करेंगे तो उनके लिए बैड खाली रहने चाहिएं। जिस भी अस्पताल में जब कोई बैड खाली हो उसकी जल्द जानकारी दी जाए। उन्होंने रेमडेसिविर इंजैक्शन पर भी चर्चा की और कहा कि इसके लिए नागरिक अस्पताल के डाक्टर कुलबीर सिंह को नोडल बनाया गया है, जब भी इसकी जरूरत हो उन्हें सूचित किया जाए ताकि सप्लाई युक्तिसंगत बनी रहे।