एसडी पीजी कॉलेज में स्वामी विवेकानंद जयंती उत्सव
एसडी पीजी कॉलेज में स्वामी विवेकानंद जयंती-‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ का आगाज विवेकानंद साहित्य एवं पुस्तक प्रदर्शनी से हुआ जिसमें स्वामीजी के जीवन, दर्शन, शिक्षाओं व युवा के समाज व राष्ट्र के प्रति दायित्व के साथ-साथ उनके साहित्य का भी प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शनी में विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी से क्रय की गई सम्पूर्ण विवेकानन्द साहित्य लगभग 800 पुस्तकें प्रचार और पढने हेतु रखी गई.
महाविद्यालय के शिक्षकों के सहयोग से लगभग 1000 छात्र-छात्राओं को विवेकानन्द के जीवन व दर्शन पर आधारित वक्तव्य व साहित्य से परिचित कराया. प्रदर्शनी का उदघाटन एसडी पीजी कॉलेज प्रधान श्री पवन गोयल और कॉलेज ऑनलाइन प्राचार्य डॉ. अनुपम अरोड़ा और स्वामी विवेकानंद केंद्र पंजाब एवं हरियाणा पंचकूला व मातृभूमि सेवा संगठन, कुरुक्षेत्र के मार्गदर्शन में हुआ. कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने स्वामी विवेकानंद से जुड़े प्रसंगों और तथ्यों के बारे में ज्ञान प्राप्त किया. कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन और विवेकानंद की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर किया गया.
मंच का संचालन डॉ (श्रीमति) संगीता गुप्ता ने किया. कार्यक्रम में एन एस एस छात्र-छात्राओं ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. विदित रहे की एसडी पीजी कॉलेज में 7 वर्ष पहले स्वामी विवेकानंद केंद्र की स्थापना की गई थी जो प्रत्यक्ष रूप में स्वामी विवेकानंद अंतर्राष्ट्रीय केंद्र कन्याकुमारी द्वारा संचालित है और निरन्तर कॉलेज के युवाओं से जुड़ा हुआ है.
मुख्या वक्ता मातृभूमि सेवा संगठन, कुरुक्षेत्र से श्रीप्रकाश जी ने स्वामी जी के विचारों पर प्रकाश डालते हुए कहा की ज्ञान तब तक अधूरा है जब तक हम अच्छे संस्कारो से युक्त न हो. हमें अपने अंदर व्याप्त ‘अहं’ को काबू में रखना सीखना होगा. कामनाओं और इच्छाओं को नियमित में रखकर ही हम सही निर्णय ले सकते है. लक्ष्य जीवन में बहुत जरूरी है परन्तु उन लक्ष्यों को पाने का तरीका भी सही होना चाहिए. हमारा मन महिलाओं के प्रति श्रद्धा तथा सुविचार से युक्त होना चाहिए.
स्वामी विवेकानंद के विचारों में जीवन जीने की कला और शक्ति व्याप्त है. बाहरी दुनिया से भी बड़ी एक दुनिया हमारे अंदर है और यह है हमारी चेतना. जब हम किसी समस्या को हल नहीं कर पाते और मायूस हो जाते है तो उसका समाधान हमारे भीतर ही छिपा होता है. स्वामीजी को पढ़ने और जानने से यही शक्ति और आत्मविश्वास हमारे भीतर आती है. स्वामी विवेकानंद से बड़ा पथ प्रदर्शक कोई नहीं है और उनके बताये मार्ग पर चलकर हम कामयाबी पा सकते है.
प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने अपने भाषण में कहा की आज के युवाओं की दशा और दिशा को निर्धारित करना सबसे बड़ी चुनौती है और प्राध्यापको पर यही सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. पारंपरिक शिक्षा से कहीं अधिक मूल्यवान संस्कारयुक्त शिक्षा है और यही सनातन धर्मियो का ध्येय भी है. सनातन धर्म कॉलेज न सिर्फ व्यवहारिक और रोजगारपरक शिक्षा विद्यार्थिओं को देता रहा है बल्कि उनमें भारतीय संस्कार भी पैदा हो ऐसा भी कॉलेज का निरंतर प्रयास है.
इस अवसर पर डॉ. संगीता गुप्ता, डॉ. संतोष कुमारी, डॉ. राकेश गर्ग, प्रो. यशोदा अग्रवाल आदि उपस्थित रहे.
(प्राचार्य)