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हरियाणा सरकार का बजट जनता पर कर्ज व टैक्स बढ़ाने वाला बजट : ललित अग्रवाल

हरियाणा सरकार का बजट जनता पर कर्ज व टैक्स बढ़ाने वाला बजट : ललित अग्रवाल
जनता को महंगाई, बेरोजगारी व भ्रष्टाचार की दलदल में धकेलने की बजाए बाहर निकाले सरकार : आप
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा मंगलवार को पेश किया गया हरियाणा बजट-2022 आम जनता पर कर्ज व टैक्स बढ़ाने वाला बजट है। इस बजट में आम जनता को किसी प्रकार की कोई राहत नहीं दी गई है। यह बात आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता ललित अग्रवाल ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कही।
अग्रवाल ने कहा कि एक लाख 77 हजार 255 करोड़ का बजट पेश किया है। इस बजट मे प्रत्येक व्यक्ति को 70 हजार 902 रूपये आते है। अगर जनसंख्या 2.5 करोड़ के हिसाब से देखा जाए तो जिस तरह से शिक्षा, परिवहन व आधारभूत सेवाओं की स्थिति है, उससे ऐसा लगता है कि अधिकत्तर पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है।
पिछले दिनों नगर परिषद भिवानी में भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। ललित ने कहा कि सरकार ने इस साल के बजट में 55063 करोड़ रूपये लोन लेने का प्रावधान किया है, जो कुल आय का 31.06 प्रतिशत है। यानि सरकार अपनी 100 रूपये के खर्च के लिए लगभग 31 रूपये उधार उठा रही है। खट्टर सरकार ने हरियाणा की जनता को भारी कर्ज तले दबाने का काम किया है।
वर्ष 2013-14 में हरियाणा सरकार पर कुल कर्ज 70369 करोड़ था, जो पिछले आठ सालों में ढक़र दो लाख 43779 करोड़ रूपये का हो गया है। यानि हरियाणा का प्रत्येक व्यक्ति लगभग एक लाख रूपये का कर्जदार है। ललित अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने अपनी टैक्स से आय को 2021-22 के 73675 करोड़ के मुकाबले 82653 करोड़ वर्ष 2022-23 में प्रावधान किया है।
इसका मतलब है कि हरियाणा सरकार जनता पर अतिरिक्त 9000 करोड़ का बोझ डालने वाली है। जबकि अगर उद्योगों पर बिजली की खपत की बात जाए तो बिजली की खपत उद्योग में 34.4 प्रतिशत से घटकर 30.3 प्रतिशत रह गई हैं। आप प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि हरियाणा बेरोजगारी में भी पूरे देश में नंबर-वन पर चल रहा है।
गैर सरकारी एजेंसियों के हिसाब से बेरोजगारी दर हरियाणा में 23 प्रतिशत है, परन्तु सरकार के खुद के आंकड़ें हरियाणा की बेरोजगारी दर को 9.2 प्रतिशत बता रहे हैं, जबकि राष्ट्रीय बेरोजगारी दर केवल 5.8 प्रतिशत है। सरकार के आंकड़े शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत खराब दिखाई देते है। वर्ष 2010-11 में हरियाणा में 14004 प्राईमरी स्कूल थे, जो 2020-21 में घटकर 9895 रह गए हैं।
2014-15 में शिक्षा पर कुल खर्च का 13.24 प्रतिशत खर्च होता था, जो 2022-23 में सरकार ने घटाकर 10.49 कर दिया हैं। तकनीकी शिक्षा का बजट जो 2014-15 में .95 प्रतिशत था, अब घटकर .22 प्रतिशत रह गया है। उन्होंने कहा कि सरकारी आंकड़ों के हिसाब से देखते तो प्राईमरी शिक्षा में भी छात्रों की संख्या घटती जा रही है, यानि लोग भाजपा सरकार के शिक्षा मॉडल से दूर जा रहे है।
आंकड़ों के हिसाब से देखे तो स्वास्थ्य सेवाओं में भी सरकार की परफोरमेंस बढिय़ा नहीं है। कुछ सरकारी अस्पताल खुले तो है, लेकिन जमीन पर बड़े शहरी अस्पतालों में भी आधारभूत सुविधाओं व स्टाफ की कमी देखी जा सकती हैं। अग्रवाल ने कहा कि अगर हम सरकार का सैलरी व पेंशन पर खर्च देखे तो 2022-23 में इसे घटता हुआ दिखाया गया है।
सैलेरी व पेंशन पर 2019-20 व 2021-21 में खर्च जो कि कुल रेवेन्यु प्राप्ति का 44 प्रतिशत था, उसे 2022-23 में घटाकर 37.25 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा गया है, यानि सरकार ने नये रोजगार लाने का कोई प्रावधान नहीं किया है।

ललित अग्रवाल ने कहा कि सरकार जनता पर बोझ ना डालकर भ्रष्टाचार कम करके आपनेे खर्च को कम करना चाहिए और शिक्षा, स्वास्थय, बुनियादी सेवाएं, कृषि, रोजगार आदि पर ध्यान देना चाहिए। हरियाणा के प्रत्येक व्यक्ति महंगाई, बेरोजगारी व भ्रष्टाचार से जूझ रहा है। उसे इस दलदल से निकालने की बजाए सरकार उसे ओर अधिक कर्ज व महंगाई व बेरोजगारी में धकेल रही हैं।

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