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एसडी पीजी कॉलेज पानीपत में विश्व पृथ्वी दिवस पर सेमीनार का आयोजन

एसडी पीजी कॉलेज में विश्व पृथ्वी दिवस पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन
किया गया जिसमे बीएससी और एमएससी के लगभग 300 छात्र-छात्राओं ने भाग
लिया. सेमिनार में मुख्य वक्ता डॉ रवि रघुवंशी विभागाध्यक्ष वनस्पति शास्त्र विभाग
रहे. कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने की. विदित रहे की
विश्व पृथ्वी दिवस-2022 का थीम ‘हमारी पृथ्वी के लिए निवेश करें’ है. इस थीम के
जरिए पृथ्वी को बचाने के लिए नए तरीके खोजना और उन्हें लागू करना आमजन
तक पहुंचाना है. अर्थ डे को मनाने की शुरुआत 1970 में हुई थी. सबसे पहले
अमेरिकी सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने पर्यावरण की शिक्षा के तौर पर इस दिन की
शुरुआत की थी क्यूंकि एक साल पहले कैलिफोर्निया के सांता बारबरा में तेल रिसाव
की वजह से भयंकर त्रासदी घटित हुई थी. इस हादसे में कई लोगों की जाने गई थी.
तब पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने का फैसला लिया गया था. नेल्सन के
आह्वान पर 22 अप्रैल को लगभग दो करोड़ अमेरिकियों ने पृथ्वी दिवस के पहले
आयोजन में हिस्सा लेकर दुनिया को यह सन्देश दिया था की सबसे बेहतर निवेश
कहाँ पर होना चाहिए. इस अवसर पर कॉलेज प्रांगण में ‘धरती बचाओ’ थीम पर
पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमे बीए तृतीय वर्ष के ऋतिक ने बाजी

मारते हुए प्रथम स्थान, बीए प्रथम इशिका ने दूसरा और अनामिका ने तीसरा स्थान
प्राप्त किया.
डॉ रवि रघुवंशी विभागाध्यक्ष वनस्पति शास्त्र विभाग ने कहा कि हम सभी
अकसर कहते रहते है कि धरती हमारी माँ है. लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि हम
अपनी ही माँ का ध्यान नहीं रख रहे हैं. ध्यान तो छोड़िए हम ने तो इसे अपवित्र
करना शुरू कर दिया है. कभी प्रदूषण के माध्यम से और कभी इसके तर्कहीन दोहन
के कारण हमने धरती को सोचनीय अवस्था में पहुंचा दिया है. पृथ्वी के महत्व को
समझते हुए और इसके संरक्षण के लिए पूरे विश्व के लोगों ने एक दिन का चुनाव
किया था जिसे अब विश्व पृथ्वी दिवस के नाम से जाना जाता है. उन्होनें कहा की
शेयर मार्किट और बांड्स में तो इंसान ने खूब निवेश किया है परन्तु अब जरुरत है
की हम हमारे ग्रह पृथ्वी में निवेश शुरू करे. अपने स्वास्थ्य, अपने परिवारों, अपनी
आजीविका की रक्षा करने के लिए हमें पृथ्वी में निवेश करना ही होगा. हरा-भरा
भविष्य ही एक समृद्ध भविष्य है.

प्राचार्य डॉ अनुपम अरोड़ा ने कहा कि सबसे बड़ी हैरानी की बात यह है कि
खुद को पृथ्वी पुत्र कहने वाला मानव अपनी ही मां पृथ्वी के संकट का सबसे बड़ा
कारण बन गया है. निर्विवाद सत्य है कि पेड़, पौधे, पशु, पक्षी और मानव के जीवन
का अंतिम सहारा पृथ्वी ही हैं. लेकिन अपने व्यक्तिगत स्वार्थों के चलते मानव ने
पर्यावरण को सबसे ज्यादा हानि पंहुचाई है बेशक इसका नुकसान भी सबसे ज्यादा
मानव ही भुगत रहा है. जलवायु परिवर्तन और अन्य मानवीय गतिविधियों द्वारा
पृथ्वी को सबसे अधिक नुकसान हुआ है. अनुमान है कि वर्ष 2050 तक मानव

जीवन के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन का भी संकट पैदा हो सकता है. पीने के लिए
मीठा पानी भी मिलना दुशवार हो जाएगा नहीं मिलेगा. यदि हमें इस संकट से बचना
है तो जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए
पृथ्वी की 30-50% भूमि, मीठे पानी और महासागर को संरक्षित करने की तुरंत
आवश्यकता है.

पवन गोयल प्रधान एसडी पीजी कॉलेज पानीपत ने अपने सन्देश में कहा कि
धरती में मौजूद नमी उसे अन्य ग्रहों से अलग करती है क्यूंकि इसी के कारण इस
पर जीवन संभव है. परन्तु आज के लालची मानव ने पानी के अत्यधिक और गैर-
जिम्मेदाराना दोहन से धरती के इस गुण पर सवालिया निशान लगा दिया है.
हरियाणा में कृषि का भविष्य अधंकार से भरा हो चुका है और यदि हम आज भी न
चेते तो विनाश निश्चित है. पर्यावरण को बचाने के उपायों को सुझाते हुए उन्होनें
कहा कि हमें जल का संरक्षण करना चाहिए, पानी का कम से कम उपयोग करना
चाहिए, कम प्लास्टिक खरीदनी चाहिए और लंबे समय तक चलने वाले प्रकाश बल्बों
का प्रयोग करना चाहिए. ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को भी हमें कम करना होगा.
अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाकर हम ऊर्जा बचाने, हवा को साफ करने और
जलवायु परिवर्तन से निपटने जैसे कार्य सरलता के साथ कर सकते है.

इस अवसर पर डॉ एसके वर्मा, डॉ मुकेश पुनिया, प्रो इंदु पुनिया, दीपक
मित्तल भी उपस्थित रहे.

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